हे मेरे मन के रथ के सारथी!
मेरी इच्छाओं
के अश्वों की वल्गा
अब छोड़ना मत।
श्रीकृष्ण, इस जीवन के कुरुक्षेत्र
में तुम अकेले ही मेरे
लिये पर्याप्त हो मेरे शक्तिपुंज।
नहीं चाहिये मुझे धन और सत्ता
के शस्त्रों से सुसज्जित
अठारह अक्षौहिणी सेनायें
श्रीकृष्ण मेरे जीवन के सारथी है
मुझे इतना ही पर्याप्त है।