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तुम देखना / सतीश कुमार सिंह
Kavita Kosh से
कि जैसे
अपनी बुराइयों को देखे बिना
कभी नज़र नहीं आतीं
खुद के भीतर की अच्छाइयाँ
तुमको जब-जब भी देखा
कुछ कुछ बुराइयों
या बहुत कुछ अच्छाइयों के साथ
अक्सर लगा
तुमने भी मुझे वैसे ही देखा
जैसे देखा मैंने तुमको
तुम देखना
इस तरह ही बीत जाएगी यह ज़िन्दगी
एक दूसरे को इस तरह देखते देखते
इस बात को समझने में
जितनी देर लगती है
उतनी देर में
सूरज पश्चिम में चला जाता है