हमने उनसे कहा कि होते कौन हो तुम
हमारी हदें तय करने वाले !
उन्होंने कहा — हम कर्ता हैं !
हमने कहा — क्या बनाया तुमने
नदी , पहाड़ , झरने , समंदर ,धरती या आसमान ?
उन्होंने सोचकर कहा — इनमें से तो कुछ नहीं
पर हमने समाज बनाया, उसके सारे नियम-कायदे, परम्पराएँ हमने ही बनाईं
फिर वो गर्व से भर गए
पौरुष के उन्माद में आकर कहा — दुनिया के सारे क्रूरतम युद्ध हमने किए
सभ्यता के माथे पर सबसे गहरे घाव हमने दिए
फिर धर्म नामक एक ऐसा हथियार बनाया
जिसने सारी दुनिया में सबसे ज़्यादा ख़ून बहाया
और दुनिया में तुम्हारे लिए सबसे बड़ा डर हमीं हैं
और तुम कहती हो
कि कौन हैं हम ।