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तोहर मउरी हवऽ नव लाख के / मगही

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तोहर मउरी हवऽ नव लाख के।
जरा जइहऽ<ref>जाना</ref> काँटे-कुसे बच के॥1॥
नदी नाले से चलिहऽ सँम्हर के<ref>सँभलकर</ref>।
जरा लाड़ो<ref>लाड़ली<ref>दुलहिन</ref></ref> से रहिहऽ सँम्हर के॥2॥

शब्दार्थ
<references/>