साँसों की गलियो, संभलो तुम,
आशा की कलियो, संभलो तुम !
बगिया में नीरस फूल तथा
कैक्टस हैं अलियो, संभलो तुम !
उन्हें रिझाया कोलाहल ने,
स्नेह की अंजलियो, संभलो तुम !
बुझा न दे तुम्हें कहीं आँसू
रोशनी के टुकडो, संभलो तुम !
सहानुभूतियों को पहिचानो
त्रासदी के गुरगो, संभलो तुम !