Last modified on 17 अप्रैल 2018, at 12:28

त्रिशूल / सुनीता जैन

ऐसा कौन-सा
अपराध है
जिसकी मैंने
कभी न कभी
कल्पना नहीं की?

पर सोचने
और करने के बीच
खड़े मिले, तुम
त्रिशूल से

और इस तरह
फैसला होता गया कि
सड़क पर
किस तरफ
मेरे पैर थे