भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
थिकहुँ बंगालिन, बसी बंगाला / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
थिकहुँ बंगालिन, बसी बंगाला
सुरपुरसँ अयलहुँ अछि
सुरपुर नदिया नाव बहाओल
अपनहि तरहथ दही जमाओल
कोठी कन्हा बरद घुमाओल
चुल्हाक पुत्ता सारी उपजाओल
आलरि-झालरि कांधे कामरु माथे बीयनि
पहिल योगिनियाँ तोहें अपन सासु हे
आबे बाबू पड़ल जोगिनियाँ के वश हे