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थेह / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
ओना तँ हम
एकसरिसयो पार कऽ सकै छी
संसार-सागर
मुदा,
अहाँक संग जँ भऽ जाय
बरखाक मौसममे
बोनमे नचैत
मयूर जकाँ
हमर मोन
मनाओत उछाही
लागत जेना भेंट गेल होअय
हमरा थेह
आ हम
अनुभव करी थेहगर।