स्वप्न
नहीं अब
स्वप्नद्रष्टाओं के लिए,
न ही गीत
गायकों के लिए।
कुछ प्रदेशों में
छाई हैं
गहन रातें
और संगीनें,
फिर भी
लौटेंगे स्वप्न,
और गीत
आएँगे बाहर
तोड़कर कारा।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’
स्वप्न
नहीं अब
स्वप्नद्रष्टाओं के लिए,
न ही गीत
गायकों के लिए।
कुछ प्रदेशों में
छाई हैं
गहन रातें
और संगीनें,
फिर भी
लौटेंगे स्वप्न,
और गीत
आएँगे बाहर
तोड़कर कारा।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’