दशहरे का मेला / कमलेश द्विवेदी

चलो दशहरे का मेला हम चलें देखने भाई.
वहाँ राम-रावण की होगी जमकर आज लड़ाई.

चाट-बताशे खायेंगे हम,
झूले भी झूलेंगे।
जादू-सर्कस देखेंगे हम,
और खिलौने लेंगे।
मेले में खायेंगे हम सब जी भर आज मिठाई.
चलो दशहरे का मेला हम चलें देखने भाई.

फिर मेले में आयी होगी,
कितनी आतिशबाजी.
हमको भी कुछ आतिशबाजी,
ले देंगे पापा जी.
लायेंगे चरखी-फुलझड़ियाँ और जहाज़ हवाई.
चलो दशहरे का मेला हम चलें देखने भाई.

आज राम के हाथों रावण,
फिर मारा जायेगा।
देख-देख कर दृश्य युद्ध का,
खूब मज़ा आयेगा।
यह त्यौहार बताता-पाती विजय सदा सच्चाई.
चलो दशहरे का मेला हम चलें देखने भाई.

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