हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
दसमास रे बेटा बोझ मरी थी
मायड़ ने निरणा दे चढ़या
अपणी मायड़ नै मैं बांदी री ल्यादूं
बड़े ए साजन की धीअड़ी
बारां मास रे बीरा गोद खिलाया
बाहण का निरणा दे चल्या
अपणी बाहण नै मैं अगड़ घड़ा दयूं
ऊपर नौरंग चूंदड़ी