दादी की ढोलक / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

यह ढोलक है दादी की।
दादी की परदादी की।
दोनों इसे बजातीं थीं।
मिलकर गाने गातीं थीं।
हम भी इसे बजाते हैं।
गाते हैं मस्ताते हैं।
दादी को परदादी को,
झुककर शीश नवाते हैं।

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