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दिन कटाई / निशान्त
Kavita Kosh से
‘टेंसन‘ होवै भलांई
दिनूगै-दिनूगै कामां री
दिन मांय सुळटज्यै तो
जी सोरो होज्यै
रोटी सावळ शवै
नींद सोरी आवै