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दीमकें / जोस इमिलिओ पाचेको / राजेश चन्द्र
Kavita Kosh से
और दीमकों से
उनके स्वामी ने कहा —
नीचे गिरा दो उस घर को।
और वे
लगातार जुटी हुई हैं
इस काम में
जाने कितनी ही पीढ़ियों से,
सूराख़ बनातीं,
अन्तहीन खुदाई में तल्लीन।
किसी दुष्टात्मा की तरह
निर्दोषिता का स्वांग किए,
पीले मुँह वाली चीटियाँ,
विवेकहीन, गुमनाम दास
किए जा रही हैं
अपना काम
दायित्व समझ कर,
फ़र्श के नीचे
किसी वाहवाही
या शाबासी की
अपेक्षा किये बिना ही।
उनमें से हर एक
सन्तुष्ट भी है,
अपना बेहद मामूली
पारिश्रमिक लेकर।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र