हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
दीवा किसने बैठ घड़ाइआं अर किसने दीवे लीया रे चुकाय
राजीड़ा रे महल दीवा बलै
दीवा रिछपाल घड़ाइयां और हरिचन्द लीया रे चुकाय
राजीड़ा रे महल दीवा बलै
दीवा तेरै किसने तेल पिरोइयां और किसने गेरी सै बात
राजीड़ा रे महल दीवा बलै
बेबे तेल पिरोइयां अर भावज मल गेरी सै बात
राजीड़ा रे महल दीवा बलै
दीवा बाल धरूं धमसाल मैं मेरे जीमे देवर जेठ
राजीड़ा रे महल दीवा बलै
दीवा बाल धरूं चन्दन रसोई में जित जीमे री मेरी ननदी का बीर
राजीड़ा रे महल दीवा बलै
दीवा बाल धरूं डूंगै ओबरे जित सोवै मेरी ननदी का बीर
राजीड़ा रे महल दीवा बलै
दीवा बाल धरूं चन्दन चौक जित खेले जी मेरा लाडणा पूत
राजीड़ा रे महल दीवा बलै