देखा देखी जोग से जोगी रोगी होय ।
कर्म-ज्ञान को त्याग कर, महा कुयोगी होय ।।
महा कुयोगी होय उभय लोकों से जावै ।
गिर गए कच्चे फूल फेर फल कैसे आवै ।।
गंगादास कहें सरम करें ना मारें सेखी ।
बेशरमों के पंथ चले सब देखा देखी ।।
देखा देखी जोग से जोगी रोगी होय ।
कर्म-ज्ञान को त्याग कर, महा कुयोगी होय ।।
महा कुयोगी होय उभय लोकों से जावै ।
गिर गए कच्चे फूल फेर फल कैसे आवै ।।
गंगादास कहें सरम करें ना मारें सेखी ।
बेशरमों के पंथ चले सब देखा देखी ।।