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देखो सखि नई साड़ी श्यामलिया ने / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

देखो सखि नई साड़ी श्यामलिया ने,
रनबन की कर डारी मोरे लाल।
कौन शहर की जा नई साड़ी,
कौना की गोट किनारी मोरे लाल। देखो...
बम्बई शहर की जा नई साड़ी,
दिल्ली की गोट किनारी मोरे लाल। देखो...
किनने बिसा दई जा नई साड़ी,
किनने गोट किनारी मोरे लाल। देखो...
ससुरा बिसा दई जा नई साड़ी,
सासो ने गोट किनारी मोरे लाल। देखो...
कैसे के फट गई जा नई साड़ी,
कैसे के गोट किनारी मोरे लाल। देखो...