Last modified on 21 मई 2011, at 01:36

देश के नौजवान के सपने / विनोद तिवारी


देश के नैजवान के सपने
हैं खुले आसमान के सपने

छू ही लेगा वो एक दिन आकाश
उसने देखे उड़ान के सपने

भाल ऊँचा किए निकलता है
पास हैं स्वाभिमान के सपने

अंकुरण में दिखाई पड़ते हैं
गाँव भर को किसान के सपने

गाँव से ले के वे शहर आए
रोती कपड़ा मकान के सपने

किसमे‍ दम है जो तोड़ सकता हो
मेरे भारत महान के सपने

तीन रंग सत्य शिव औ’ सुन्दर के
देखो क़ौमी निशान के सपने