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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-27 / दिनेश बाबा

209
‘बाबा’ पेटो लेॅ छिकै, बुरा लालमरचाय
ई गैस्टिक के जड़ छिकै, पेटो केॅ लहराय

210
ईश्वर के कौतुल छिकै, या प्राकिरतिक खेल
नर-मादा में आपसी, तहीं हुवै छै मेल

211
के समदै छै गाछ केॅ, पहुँचै जबेॅ बसंत
मंजर, टूसा, ठार में, आबै नजर तुरंत

212
सेहत लेली आँवला, नियमित जौने खाय
जीतै ‘बाबा’ हौ बहुत, कभियो नहीं बुढ़ाय

213
च्यवनप्राश में सिद्ध छै, यौवन के तासीर
ऐ लेली जीयै बहुत, जोगी, सिद्ध, फकीर

214
योग सिद्धि के वासतें, वानस्पतिक प्रयोग
अन्न त्याग करियै मतर, करो दूध, फल भोग

215
लौह तत्व पूरा करै, जे केला भरपूर
कफकारक केॅ चाहियो, रहै हमेशा दूर

216
पोपीता सबसें नरम, छै संतोॅ के फूड
मन हुवै खा भरीदोम, बनी जाय छै मूड