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दो प्रेम कविताएँ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / अशोक वाजपेयी

1.

मेरे प्रिय ने मुझे
एक नन्ही टहनी दी
जिस पर पीली पत्तियाँ थीं।

वर्ष
जाता है
अपने अन्त की ओर

प्रेम
अभी
आरम्भ हुआ है।

2.

मुझे एक पत्ती भेजो
जो उगी हो
किसी नन्हे वृक्ष पर

और जो तुम्हारे घर से
आधे घण्टे की दूरी से
कम पास न हो

तुम्हें चलना होगा
और तुम मज़बूत हो जाओगे
और मैं
उस सुन्दर पत्ती के लिए
तुम्हें धन्यवाद दूँगा।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक वाजपेयी