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धन्य छथि टोंटानाथ / मन्त्रेश्वर झा

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हमर यार टोंटानाथ बड़ बुझनुक छथि
कोनो स्त्री केँ विधवा होइतहि
ओकरा डाइन
घोषित कऽ दैत छथि,
आ कि जे क्यो अबला अछि
दुख कटैत गामक सिमान पर
जीबैत अछि आ कि जीबैत रहबाक
प्रयास करैत अछि
आ जकर बेटा बेटी
हैजा आ कि कालाजार मे
कुहरैत, अहुरिया दैत, बफारि
कटैत बिला जाइत छैक
से तऽ निश्चिते हक्कल डाइन
होइत अछि
आ टोंटानाथ!
अरे तो तऽ बड़का पहुँचल
गुनी छथि
केहनो डाइन केँ अपन ‘बस’ मे
करबाक लेल
ओकर डीह डाबर लिखा लैत छथि
भरि परोपट्टाक पंचैती बजाय
ओकर हाड़ पाँजर तोड़ब
जनैत छथि
मेरचाइके धुआँ मे केहनो डाइन के
ओ फकसियारी कटबा सकैत छथि
ओह, टोंटानाथ बड़ पैघ
धर्मात्मा छथि,
केहनो घोर कलिजुग आबि गेल हो
ओ देखार मे
प्याजु लहसुन नहि खाइत छथि
नित्य पूजा पाठ, व्रत उपवास
करैत छथि
बेटा बेटीकें पढ़ाय
समाजकें भ्रष्ट नहि करैत छथि
हमर यार टोंटानाथ।
दू चारि टा संस्कृतक श्लोक सीखि लेलक
चिट्ठी पतरी लिखब आबि गेलैक
दुनियादारी बुझा गेलैक
अपन जाति पाँति मे विवाहदान
भऽ गेलैक
बेटा बेटी जनमि गेलैक
भऽ गेल शिक्षित।
एहिना टोंटानाथ सभटा
सम्पत्ति अरजलनि
नवका विद्या पढ़ाकेँ
सभटा अरजल केँ
गमेबा मे कोन बुधियारी छैक
बेटा बेटी केँ पढ़ा लिखा के उद्दंड आ
उच्छृंखल
बनयबाक अधर्म
टोंटानाथ केँ बरदाश्त सँ
बाहर छनि।
टोंटानाथ धरती पुत्र छथि
धरती पर रहनिहार।
धरतीक कतेक टुकड़ा अपन
भऽ सकैत छनि
तकर दुख मे सतत गोटी
बैसबैत रहैत छथि
दियाद बादक जमीन
अपना नाम करायब
हुनका बामा हाथक खेल छनि,
ओही हाथ सँ दछिन बरिया कोला
उतर बरिया महार
पछबरिया गाछी
पुबरिया चास
अपना बनैत रहैत छनि
धरती माता अपन महान सन्ततिक लेल
अपन तोडा खोलनहिं
रहैत छथिन,
टोंटानाथ धन्य छथि
धन्य छथि टोंटानाथ
अहाँक ममियौत छथि
हुनकर पितियौत छथिन
चुन्नुर के मौसा
मुन्नुर के पीसा
हमर खास यार छथि
सबहक अनन्य छथि
धन्य छथि टोंटानाथ
टोंटानाथ धन्य छथि