धरती माय छथि
माइये जकाँ
अपन समस्त संतान कें दुलार करै छथि।
माय धरती!
तोहरे कोखिसँ जन्मैछ
दूभिसँ अरण्य धरि
गाछसँ पहाड़ धरि
पोखरिसँ समुद्र धरि
अन्न भंडारसँ खनिज भंडार धरि।
तोहरे देह पर बसल अछि
गामसँ शहर धरि
देशसँ महादेश धरि।
धरती माय छथि
माइये जकाँ
अपन समस्त संतान कें दुलार करै छथि।
माय धरती!
तोहरे कोखिसँ जन्मैछ
दूभिसँ अरण्य धरि
गाछसँ पहाड़ धरि
पोखरिसँ समुद्र धरि
अन्न भंडारसँ खनिज भंडार धरि।
तोहरे देह पर बसल अछि
गामसँ शहर धरि
देशसँ महादेश धरि।