(हिन्दी कविता का इतिहास)
भूषण की लेखनी ने बावन लिखा के छन्द,
औरंग का रंग रण - रंग में मिला दिया।
उधर बिहारी जी के काव्य में बिहार कर,
विरहणियों ने निज दुख ही भुला दिया।
देव, मतिराम, पद्माकर औ घनानंद ,
कवियों ने काव्य की कला को ही जिला दिया।
कवि रतनाकर ने उद्धव शतक लिख,
उद्धव का ज्ञान चार छन्द में गला दिया।