भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धूम-धड़क्का / प्रयाग शुक्ल
Kavita Kosh से
धूम - घड़क्का,
धूम - धड़क्का!
सचिन का चौक्का,
सचिन का छक्का!
रह गए सारे
हक्का - बक्का!
चौका - छक्का
धूम - धड़क्का!