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नजर मौसम की / नचिकेता
Kavita Kosh से
नज़र मौसम की
हवाओं की चाल पर है
नज़र मौसम की
कहाँ तीखा घाम
बरखा कहाँ होनी है
किस जगह के चेहरे की
मैल धोनी है
कहाँ गूँजेगी
ध्वनि अविराम सरगम की
है अभी उलझी
हुई गुत्थी सवालों की
नापनी है चाल धड़कन की
उछालों की
भोर की आँखें
उमंगों से भरी चमकी
हर परिन्दे की
उड़ान चाह होती है
आंधियों में गुम न कोई
राह होती है
चिलचिलाती धूप में
बेला न क्या गमकी