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नर-नारी / कालीकान्त झा ‘बूच’
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र तँ डहैट सूरूज, नारी बहैत गंगा
ई प्रेम केर पूजन ओ नेम केर दंगा
नर गील-गील कादो नारी अनूप मूरति
नर तँ अनंग जऱल नारी अनंग सूरति
नर सर्पपीठ शायी, नारीक नाम कमला
नर आदि सं मसानी नारी अनंत विमला
ओ राजनीति स्याही ई लोकरीति लाली
नर जीव एक निर्मल नारी कराल काली
ओ टेढ़ठाढ़ कान्हा ई सोझसाझ राधा
ओ भाग एक कारी ई गोर चान आधा
सभ शक्ति सं समन्वित नारी सुखक स्वरूपा
ई भक्ति केर सोना ई ज्ञान केर रूपा
अयलीह आइधरि तोँ नर सं पबैत बाधा
ई स्वर्ग केर बुलबुल ओ मर्त्य केर व्याधा