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नवम्बर / टोमास ट्रान्सटोमर
Kavita Kosh से
जब जल्लाद ऊब जाता है हो जाता है वह ख़तरनाक.
जलता हुआ आकाश समेट लेता है स्वयं को.
दस्तक सुनाई देती है कक्ष दर कक्ष
और कमरे से बाहर बह उठता है तुषार.
कुछ पत्थर चमकते हैं पूर्ण चन्द्र की तरह.
(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)