भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नवयुग / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
Kavita Kosh से
नवयुग (कविता अंश)
रहता हाथ जोड़ जो,
उसे गर्व दो तुम।
मनुष्य हो कर रहने का,
उसे गर्व दो तुम।
सिर ऊंचा कर चलने का ।
ईश्वर की दुनिया में भेद न होवे कोई।
रहे स्वर्ग में सभी,
नरक दुख सहे न कोई ।
(नव युग कविता का अंश)