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नहीं जाऊँगा अब मैं शाला / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
लगता है हो रहा घोटाला।
नहीं जाऊँगा अब मैं शाला।
अब तक नहीं किताबें आईं।
नहीं कापियाँ अभी मगाईं।
जूते, वर्दी भी बाक़ी है।
पापा कि क्या चालाकी है।
लगता है कुछ गड़बड़ झाला।
नहीं जाऊँगा अब मैं शाला।
रबर पेंसिल नहीं मिले हैं।
स्विमिंग सूट भी नहीं सिले हैं।
किस बस में है मुझको जाना।
नहीं अभी तक ठौर ठिकाना।
लगता कहीं दाल में काला।
नहीं जाऊँगा अब मैं शाला।
शिक्षक जी भी गज़ब ढहाते।
रोज नई चीजें मंगवाते।
मंहगाई में खाना मुश्किल।
नई किताबें लाना मुश्किल।
पापा को चिंता में डाला।
नहीं जाऊँगा अब मैं शाला