बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
नाते रिस्ते सम्पदा, सजन सलौनौं गात,
ईसुर जा सिंसार में, सबई अखारत जात।
मरम न जानें जौ जगत, लाखन करौ उपाय,
ईसुर सोसत रात हैं, ईसुर एक सहाय।
साँसन को सब खेल है, मन जिन लेव उसाँस,
ईसुर राधा रटत रऔ, चारक लगनें बाँस।
मानस मन माया फँसौं, सबकौ बेरी काम,
ईसुर काम आवै नहीं, हड़रा, मज्जा चाम।