नानी मुझसे नहीं छुपाओ / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

सच्ची-सच्ची बात बताओ,
नानी मुझसे नहीं छुपाओ।

है नाना ने नानी तुमको,
कभी चिकोटी काटी क्या?
अक्ल नापने की मशीन से,
अक्ल तुम्हारी नापी क्या?
याद करो अच्छे से नानी,
हँसकर मुझे नहीं बहलाओ।

क्या नानाजी तुम्हें घुमाने,
पार्क कभी ले जाते थे?
कहीं किसी ठेले पर जाकर,
चाट तुम्हें खिलवाते थे?
इसमें डरना कैसा नानी,
बतला भी दो न शरमाओ।

कभी गईं हो क्या तुम नानी,
नाना के संग मेले में?
दोनों कहीं किसी होटल में,
बैठे कभी अकेले में?
भेद नहीं खोलूँगी नानी,
मुझसे बिलकुल न घबराओ।

सुनकर हँसी जोर से नानी,
बोली बेटी हाँ-हाँ-हाँ।
सब करते हैं धींगा मस्ती,
नाना करते क्यों ना-ना।
अब ज़्यादा न पूछो बिट्टो,
मारूँगी, अब भागो जाओ।

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.