नाम बिना तन जात बहोरे।
पावत पार नहीं सागर को कर्म कुलाहल भार भरोरे।
कुमत खटेर भोर माया की फिर-फिर गोटा खात फिरोरे।
शब्द जिहाज साज भौसागर सतगुरु केवट पार करोरे।
जूड़ीराम विचार पुकारे नाम बिना नहिं पार लगो रे।
नाम बिना तन जात बहोरे।
पावत पार नहीं सागर को कर्म कुलाहल भार भरोरे।
कुमत खटेर भोर माया की फिर-फिर गोटा खात फिरोरे।
शब्द जिहाज साज भौसागर सतगुरु केवट पार करोरे।
जूड़ीराम विचार पुकारे नाम बिना नहिं पार लगो रे।