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नारी तु नारायणी / सत्यनारायण पांडेय
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नारीनिन्दा न करनीया
नारी एव नरानां जननी
कथितमपि "यत्रनार्यस्तु पुज्यन्ते-
रमन्ते तत्र दवता"
रमन्ते
तत्र देवता!
नार्यः एव भवन्ति माता, भगिनि, श्वसा।
नारी एव जगज्जननी
सर्वेषां सर्वदुखः हारिणि
सर्व सुख कारिणि
नारी तु नारायणी!
नारी तु नारायणी।