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निंदिया आना धीरे धीरे / राम करन
Kavita Kosh से
दूर देश से सपने लाना,
उसमें दुनिया नई सजाना।
चुप-चुप आना पलकें तीरे,
निदिया आना धीरे धीरे।
हौले गाना मधुर तराना,
मद्धिम-मद्धिम सुर लहराना।
जैसे झरना उतरे धीरे,
निदिया आना धीरे धीरे।
और बुलाकर परियां लाना,
मेरे खटोले पँख लगाना।
साथ उड़ेंगे धीरे - धीरे,
निदिया आना धीरे धीरे।
चाँद जरा सा नीचे आना,
जुगनू-तारे सबको लाना।
लगेंगे जैसे चलते हीरे,
निदिया आना धीरे धीरे।