निकले हो रास्ता बनाने को
तुमने देखा नहीं ज़माने को
जंग दुनिया से मेरी जारी थी
आ गया घर भी आज़माने को
अम्न तो हम भी चाहते हैं मगर
लोग आमादा हैं लड़ाने को
अपनी छत को दुरुस्त कर पहले
फिर निकल आसमाँ सजाने को
अपनी सुध-बुध भुलाये बैठे हैं
जो भी आए हमें हराने को