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नियति / सुधीर सक्सेना
Kavita Kosh से
मैंने तुम्हें चाहा
तुम धरती हो गईं
तुमने मुझे चाहा
मैं आकाश हो गया
और फिर
हम कभी नहीं मिले,
वसुन्धरा!