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नींद-५ : जागो मेरे साथ / सुरेन्द्र स्निग्ध

कोई टेलीफोन बूथ
अभी नहीं है जगा
बगल के गेस्ट हाउस का
बन्द पड़ा है गेट
बस स्टैण्ड के बगल का
सोया है बाज़ार ।

खुले हैं रिक्शेवाले
खुला है गन्तव्य
गन्तव्य का नहीं है
पता
कहाँ जाऊँ ?

इस रिक्शे में
सोया पड़ा है
सारा शहर ।

जागो कि
जगे अहसास
प्रेमिका के
गर्म आग़ोश का ।