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नूर ज़रो / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’
Kavita Kosh से
सिजु चंडु न
बिजली न
हुजे मोमबत्ती
प्रकाश में
जा भेट में
थिए तुच्छ जहिड़ी
पर
पोइ बि ॾिसो
नूर ज़रे जी ताक़त:
केॾी न वठी फ़ौज
करे
ऊंदहि काह
की उन जो गलो घुटे
कढी सधंदी साहु?-
हूंदी खुद नास।