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नेता / सुशीला सुक्खु
Kavita Kosh से
कैसा नेता।
कैसी राजनीति
कैसी नेतागिरी
लोग फिर भी हैं दुखी।
कया फायदा बोट बटोरना
जब तुम्हें आता नहीं जोड़ना
केवल फूट बोकर
अपना खीस निपोरना।
जनता की भलाई का बहाना
बढ़ता अपना धन-दौलत-खजाना
जनता के पसीना को जो खाए लूट-लूट कर
वही परता है घुट-घुट कर।
नेता! तू कैसा नेता
जब अपने ही घर में
चोरी करे बेटा
नेता उसे कहते
जो है सुख देता
तू तो बन गया केवल लेता।