जब-जब मुझे लगता है 
कि घट रही है आकाश की ऊँचाई 
और अब कुछ ही पलों में मुझे पीसते हुए 
चक्की के दो पाटों में तबदील हो जाएंगे धरती-आसमान
तब-तब बेहद सुकून देते हैं पंछी
आकाश में दूर-दूर तक उड़ते ढेर सारे पंछी 
बादलों को चोंच मारते 
अपनी कोमल लेकिन धारदार पाँखों से 
हवा में दरारें पैदा करते ढेर सारे पंछी 
ढेर सारे पंछी 
धरती और आकाश के बीच 
चक्कर मारते हुए 
हमें एहसास दिला जाते हैं
आसमान के अनंत विस्तार 
और अकूत ऊँचाई का!