पराजय मैं क्यों करूँ स्वीकार, मुझसे यह नहीं होगा
करूँ अपमान अंगीकार, मुझसे यह नहीं होगा
किसी के प्रति रहूँ अनुदार, मुझसे यह नहीं होगा
स्वयम् को मान लूँ अवतार, मुझसे यह नहीं होगा
पराजय मैं क्यों करूँ स्वीकार, मुझसे यह नहीं होगा
करूँ अपमान अंगीकार, मुझसे यह नहीं होगा
किसी के प्रति रहूँ अनुदार, मुझसे यह नहीं होगा
स्वयम् को मान लूँ अवतार, मुझसे यह नहीं होगा