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पहचान / राजा खुगशाल
Kavita Kosh से
शीत लहर से
इलाके को उभारती हुई
सूर्य की किरणों को
जानते हैं हम
जानते हैं
गैंती फावड़ा और कुदाल को
कन्धों से उतार कर
दरख़्त की छाया में
तन-मन का पसीना
पॊंछती हुई हवा को
आँखों में
तूफ़ान के संकेत समेटे
सूने मचान के मानिंद चुप
मज़दूर को
मज़बूरियों में
दास बना देने वाली दया को
पहचानते हैं हम