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पाठक / राजेन्द्र जोशी
Kavita Kosh से
मैं लिखता हूँ
रोज लिखता हूँ
मेरी इच्छा से
मेरे मन से
मेरी कलम से
मेरे कागज पर
रोज लिखता हूँ
रोज छपता हूँ
पाठक रखता हूँ
वो पढ़ते हैं
दोपहर के बाद
डाकिये के आने पर
मेरे पोस्टकार्ड पर