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पाणी री कहाणी / ओम पुरोहित कागद
Kavita Kosh से
आंख्यां ओसरै
चौमासौ
रळी करतां
खिंवती बीजळ
बरसता बादळ
इन्दरधनख
सतरंगी सुपना
मन में मंडै
मन में दुड़ै
आभौ पळकै
कोरो आरसी
नी मंडै बादळ
धोरी भटकै
निरजळ इग्यारसी।
पाणीं री कहाणी
पीढ्यां जाणी
आंख्यां छोड़
कठै पाणी?