पालने खेलत नन्द-ललन छलन बलि,
गोद लै लै ललना करति मोद गान है ।
'आलम' सुकवि पल-पल मैया पावै सुख,
पोषति पीयूष सुकरत पय पान है ।
नन्द सों कहति नन्दरानी हो महर सुत,
चन्द की सी कलनि बढ़तु मेरे जान है ।
आइ देखि आनन्द सों प्यारे कान्ह आनन में,
आन दिन आन घरी आन छबि आन है ।