Last modified on 27 मई 2016, at 03:31

पिया जेठोॅ के घाव / ऋतुरंग / अमरेन्द्र

पिया जेठोॅ के घाव।
की कहियौं कैहिनोॅ कलपित्तोॅ करै
जेन्होॅ काँखी के घाव।

साल भरी पोखरी में पानी संघरलै
जेठोॅ में पोखरी की कुइयौं तक जरलै
दमड़ी के बदला में सूद जेन्होॅ लेलकै
हेनोॅ अंगरेजो के नै छैल्है भाव
पिया जेठोॅ के घाव।

तपलोॅ जों लोहा पानी सें छुआवै
होनै केॅ घमोॅ सें देह छनछनावै
पछुआ तेॅ हेने कि गुस्सा में सासू
बहुवोॅ पर फेकलेॅ रहेॅ जों अलाव
पिया जेठोॅ के घाव।

भाँपे रङ साँस उठै धौकनी रङ छाती
भभकै छै देह जेना ढिबरी के बाती
आगिन पर रातो दिन रहै छी पटैली
ओकरा पर तोरोॅ वियोगोॅ के फाव
पिया जेठोॅ के घाव।

-1.6.97