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पिया पावस झरै / ऋतुरंग / अमरेन्द्र
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पिया पावस झरै।
सरंगें निचौड़ै की भिंजा साड़ी
जैर्से पानी गरै।
पिया पावस झरै।
चानी के ठनका के कोर चमकै छै
अँचरा के खुशबू सें अग-जग भरै
पिया पावस झरै।
फसकीकेॅ बादर के खोपोॅ छिरयैलै
लाजोॅ सें धरती पर मोंरवा मरै
पिया पावस झरै।
डाकै छै झिंगुर तेॅ बेंगो भी डाकै
पोखरी में उछलै छै मिरका-गरै
पिया पावस झरै।
सरगद सरंग छेलै सरगद छै धरती
केनाकेॅ केकरो गिरहस्थी सरै
पिया पावस झरै।
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