पिया बसै परदेश / संवेदना / राहुल शिवाय

माघ के छै धुकधुकिया रौदा
पिया बसै परदेश,
धूप सेकी केॅ याद मेॅ ननदी
बाँधै छी हम केश |

ई ठंडी के रात मे हुनका
आबै नै की याद ?
मन पागल होय जाय छै हमरोॅ
करै ललि संवाद |
कागा भी नै आबै छै
लेकेॅ कोनो संदेश,
माघ के छै धुकधुकिया रौदा
पिया बसै परदेश |

हमरा सेॅ की भूल भेलै जे
भूली गेले हुनी प्रीत,
कहोॅ अकेले गैयै केना
ई वसंत के गीत |
हमरा तेॅ बस इहे बात के
मन मेॅ ननदी ठेस,
माघ के छै धुकधुकिया रौदा
पिया बसै परदेश |

रचनाकाल - 14 जनवरी 2011

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.