राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
गऊं ये चना को उबटनो, आवे म्हारी दाद्या देख ल्यो,
आओ म्हारी मायां देख ल्यी,
थां देख्या सुख होई, आछो लाडो बैठ्यो उबटनो।
गऊं ये चना को उबटनो, आवो म्हारी काकियां देख ल्यो,
आओ म्हारी तायां देख ल्यी,
थां देख्या सुख होई, आछो लाडो बैठ्यो उबटनो।
गऊं ये चना को उबटनो, आवो म्हारी भूवा देख ल्यो,
आओ म्हारी बहणां देख ल्यी,
थां देख्या सुख होई, आछो लाडो बैठ्यो उबटनो।
गऊं ये चना को उबटनो, आवो म्हारी नानियां देख ल्यो,
आओ म्हारी मामियां देख ल्यी,
थां देख्या सुख होई, आछो लाडो बैठ्यो उबटनो।