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पीवै सदा अधरामृत स्याम को / भारतेंदु हरिश्चंद्र

पीवै सदा अधरामृत स्याम को
भागन याको सुजात कहा है ।
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तबै मुधि मूल वहाँ है ।
छूटै सबै धन-धाम अली हिय
व्याकुलता सुनि होत महा है ।
बेनु के बंस भई बँसुरी जो
अनर्थ करै तो अचर्ज कहा है ।